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मिले प्यार तो बच्चे संवेदनशील

घर में स्वयं का भी आचरण संयमित होना चाहिए जिससे बच्चों को भी संयम से रहने की प्रेरणा मिले। मिले प्यार तो बच्चे संवेदनशील : बच्चों को माता-पिता के प्यार की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, इससे वे संवेदनशील बनते हैं और आने वाले समय में चीजों को बेहतर ढ़ंग से समझ पाते हैं. बच्चों की स्वस्थ मानसिकता के लिए उनकी भावनात्मक जरूरतों को महत्व देना जरूरी है. खाना, कपड़ा, मकान और चिकित्सकीय देखभाल जैसी मूलभूत जरूरतों की तरह भावनात्मक जरूरतों का भी अपना स्थान है। इसका अर्थ यह नहीं कि वह सबसे कम जरूरी है, वैसे भी प्यार और स्वीकृति का माहौल नहीं होने पर किसी पर अनुशासन थोपना बेकार है।
प्यारः खुशहाल बचपन की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है प्यार। वह दुनिया में बेशकीमती चीज है।
स्वभाव में प्यार: कुछ पैरेंट्स का नजरिया होता है कि बच्चे उनका नाम रोशन करेंगे या बुढ़ापे मेें मदद करेंगे. अगर ऐसा नहीं हो, तो वे खुद को ठगा हुआ, उपेक्षित और तिरस्कृत महसूस करते हैं. वे इस बात से क्षुब्ध रहते हैं कि उन्होंने तो बच्चे के लिए अपनी सामथ्र्य से ज्यादा किया और खूब प्यार दिया जबकि बच्चा अब अपनी जिम्मेदारी और उनकी उपेक्षाओं को पूरा करना भूल गया है लेकिन प्यार लेने-देने वाला सौदा नहीं हो सकता। माता-पिता के रूप में उन्हें बिना शर्त और बिना उपेक्षाओं के प्यार करना चाहिए. ऐसे प्यार के माहौल में बच्चा सुरक्षित महसूस करता है. जब भी वह अपनी खुशी या अपनी परेशानियां बांटना चाहे तो माता-पिता के खुले आलिंगन में लपक कर आ जाता है।
मिले प्यार तो बच्चे संवेदनशील मिले प्यार तो बच्चे संवेदनशील Reviewed by Lancers on June 23, 2018 Rating: 5
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