क्या आपने देखी है माँ की ममता |
लबों पे जिसके कभी बद्दुआ नहीं होती, वह एक माँ है, जो कभी खफ़ा नहीं होती।माँ की ममता। आठ साल का एक बालक था। जिसके पिता का देहांत हो चुका था। घर में अकेली माँ थी। जो बच्चे के पालन-पोषण के लिए मजदूरी करती और उसे पढ़ा रही थी। सुबह बच्चा जल्दी स्कूल चला जाता, तो माँ उस बच्चे को टिफिन देने स्कूल जाती। उसके मित्र कहते- तेरी काणी माँ खाना लेकर आई है। ऐसा कहकर उसे चिढ़ाते थे। दोस्तों की बाते सनते-सुनते बच्चा कुंठित हो गया और एक दिन माँ से कहा कि आपके एक आँख नहीं है, इसलिए मुझे मेरे दोस्त चिढ़ाते हैं। आप स्कूल में टिफिन लेकर न आएँ। माँ की ममता, माँ ने बच्चे के कहे अनुसार टिफिन लेकर जाना बंद कर दिया। समय गुजरा और बच्चा बड़ा हो गया, कालेज में पढ़ने लगा। उसके दोस्त घर आने लगे, माँ चाय-नाश्ता लेकर आती, तो उसके दोस्त उसकी माँ को अजीब दृष्टि से देखते और एक-दूसरे की तरफ देख हंसते। बेटे ने माँ को दोस्तो के सामने चाय-नाश्ता देने के लिए भी मना कर दिया। माँ की ममता ने इस बात को भी स्वीकार कर लिया। पढ़-लिखकर उसकी नौकरी लग गई, शादी हो गई। मगर शादी के कुछ समय बाद तो वह माँ की कुछ ज्यादा ही उपेक्षा करने लगा और एक दिन उसने माँ को भला-बुरा कहकर घर से ही निकाल दिया। बहुत समय बाद माँ दयनीय स्थिति में बेटे के पास वापस आई, इस उम्मीद से की बेटा उसे देखकर खुश होगा, लेकिन उसने माँ को दुत्कार कर घर से निकाल दिया। माँ रोते हुए निकली ही थी कि सड़क पार करते समय एक्सीडेन्ट हो गया और उसकी मृत्यु हो गई। बेटे को ख़बर मिली। वह घटनास्थल की ओर दौड़ पड़ा, भीड़ को चीरकर माँ के शव के पास पहुँचा तो उसके हाथ में एक कागज का टुकड़ा था, माँ की ममता, उस पर लिखा था-बेटा, जब तू 4 साल का था, तब तेरी एक आँख खराब हो गई थी, तब मैंने अपनी आँख निकालकर तुझे रोशनी दी थी। यह पढ़ते ही उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई। लेकिन अब क्या हो सकता था। वह प्यारी माँ तो वापस कभी न लौटने के लिए जा चुकी थी।
मैं इस प्रसंग से यह बताना चाहता हूँ कि माँ की ममता सर्वोपरि हैं, उनका सम्मान करें। उनकी भावनाओं को ठेस न पहुँचाएँ। वे इस धरा पर साक्षात देवता हैं। माँ की ममता को दुःख दिया तो हमारा जीवन भी अंधकारमय हो जाएगा।
क्या आपने देखी है माँ की ममता
Reviewed by Lancers
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June 29, 2018
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