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भारतीय परम्परा का महत्व - तिलक - नमस्कार - स्पर्श

भारतीय परम्पराओं को जन्म से लेकर मरणोपरांत कई तरह की परम्पराओं का निर्वहन किया जाता है। यह परंपराएं अलंकार की हैं। जो न केवल हिन्दू धर्म बल्कि भारत के प्रति दुनिया को आकर्षित करती हैं। परंपराएं निरर्थक व अनावश्यक नहीं होती, बल्कि इनके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी होते हैं।

माथे पर तिलक लगाना 

परम्परा का अर्थ, परम्परा और संस्कृति, परम्परा और आधुनिकताहिन्दू परंपरा के अनुसार विभिन्न धार्मिेेक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ में माथे पर  तिलक लगाया जाता हैं। माथे पर तिलक बहुत शुभ माना जाता है, इसके लिए खास तौर से कुमकुम अथवा सिंदूर का उपयोग किया जाता है। सुहागन महिलाओं के लिए कुमकुम सुहाग और सौंदर्य के प्रतीक के रुप में उनके जीवन का अभिन्न अंग है। लेकिन इसके पीछे सशक्त वैज्ञानिक कारण भी है। मानव शरीर में आंखों के मध्य से लेकर माथे तक एक नस होती है। जब भी माथे पर तिलक या कुमकुम लगाया जाता है तो उस नस पर दबाव पड़ता है जिससे वह अधिक सक्रिय हो जाती है और पूरे चेहरे की मांसपेशियों तक रक्त संचार बेहतर तरीके से होता है। इससे ऊर्जा का संचार होता है और सौंदर्य में भी वृद्धि होती है।

करबद्ध नमस्कार

परम्परा का अर्थ, परम्परा और संस्कृति, परम्परा और आधुनिकताकिसी से मिलते समय हाथ जोड़कर प्रणाम किया जाता है। इसे  नमस्कार करना कहते हैं जो सम्मान का प्रतीक है। अभिवादन का यह तरीका भी वैज्ञानिक तर्क संगत है। हाथ जोड़कर अभिवादन करने से जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं तो उन पर दबाव पड़ता हैं,जो एक्यूप्रेशर का काम करता है। एक्यूप्रेशर पद्धति के अनुसार यह दबाव  आंखों, कानों व दिमाग के लिए प्रभावकारी है। इस तरह से अभिवादन कर हम व्यक्ति को लंबे समय तक याद रख सकते हैं। इसके साथ ही हाथ मिलाने के बजाय हाथ जोड़ने से हम कई तरह के संक्रमण से बच सकते हंै।

चरण स्पर्श 

परम्परा का अर्थ, परम्परा और संस्कृति, परम्परा और आधुनिकताबड़े बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की भारतीय परंपरा प्राचीन है। हर हिन्दू परिवार में बडों के पैर छूना एक संस्कार के रुप में सिखाया जाता है। दरअसल चरण स्पर्श वैज्ञानिक तर्क के अनुसार प्रत्येक मनुष्य के शरीर में मस्तिष्क से लेकर पैरों तक लगातार ऊर्जा का संचार होता है। इसे काॅस्मिक ऊर्जा कहा  जाता है। इस तरह से जब हम किसी व्यक्ति के पैर छूते हैं, तो हम उससे ऊर्जा ले रहे होते हैं। सामने वाले की ऊर्जा का प्रवाह हमारे हाथों के जरिए  हमारे शरीर में होता है।
भारतीय परम्परा का महत्व - तिलक - नमस्कार - स्पर्श भारतीय परम्परा का महत्व - तिलक - नमस्कार - स्पर्श Reviewed by Lancers on July 11, 2018 Rating: 5
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