
विधि-सूर्य मुद्रा के लिए सर्वप्रथम सिद्धासन, पदमासन या सुखासन में बैठ जाएं इसके बाद अपने दोनों हाथों को घुटनो पर रख ले और हथेलियां ऊपर की ओर रखें। पहले अनामिका उंगली को मोड़कर अंगूठे की जड़ से छुआएं और अंगूठे से इसे दबा लें । ऐसे में बची तीनों उंगलियों को बिल्कुल सीधी रखें। इस प्रकार की मुद्रा को अग्नि या सूर्य मुद्रा कहा जाता है।
लाभ- दिन में दो बार 15 मिनट के लिए सूर्य मुद्रा का अभ्यास करने से कोलेस्ट्रोल का स्तर कम होता है और शरीर में सूजन होने पर भी यह दूर होती है। सूर्य मुद्रा के नियमित अभ्यास से शरीर में बल पैदा होता है और पेट के रोग दूर होते है।
वजन कम करें - सूर्य मुद्रा से वजन भी कम होता है । मोटापे से पीडित लोगों को अतिरिक्त वजन कम करने के लिए भी इस मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए। खास तौर पर प्रसव के बाद जिन महिलाओं में मोटापा बढ जाता है उनके लिए यह मुद्रा फायदेमंद है। क्योकि इस मुद्रा के अभ्यास से पाचन प्रणाली बेहतर बनती है।
कब न करें- एसिडिटी और अम्लपित्त होने पर यह मुद्रा न करें। शरीर बहुत ज्यादा कमजोर हो तो आपको सूर्य मुद्रा नहीं करनी चाहिए। सूर्य मुद्रा से शरीर का ताप बढ़ता है इसलिए गर्मी मे यह मुद्रा करने से पहले पानी पी लेना चाहिए। आमतोर पर योगाभ्यास खाली पेट किया जाता है।
सूर्य मुद्रा और फायदे
Reviewed by Lancers
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July 02, 2018
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